बिहार (Bihar) में चुनावी साल में बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को अल्पसंख्यक समुदाय से झटका लगना, खासकर इफ्तार पार्टी जैसे धार्मिक और सामाजिक आयोजनों में मुस्लिम धार्मिक संगठनों की दूरी बनाना, एक बड़ा राजनीतिक संकेत हो सकता है। यह घटनाक्रम दिखाता है कि अल्पसंख्यक समुदाय और सरकार के बीच संवाद या विश्वास में कहीं न कहीं कमी हो सकती है।
बिहार (Bihar) में चुनावी साल है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को अल्पसंख्यक समुदाय से बड़ा झटका लगा है। नीतीश की इफ्तार पार्टी से मुस्लिम धार्मिक संगठनों ने बायकॉट किया है। कहा जा रहा है कि जेडीयू के वक्फ संशोधन बिल का समर्थन करने के कारण मुस्लिम संगठन नाराज चल रहे हैं और नीतीश की इफ्तार पार्टी से पहली बार दूरी बना ली है। ये इफ्तार पार्टी रविवार को पटना में होने वाली है।
बिहार में जेडीयू के नेतृत्व में एनडीए की सरकार है। इस सरकार में बीजेपी, एलजेपी (R) और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा भी हिस्सा है। केंद्र की मोदी सरकार वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 बिल लाने की तैयारी कर रही है। फरवरी 2025 में मोदी कैबिनेट ने संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) द्वारा प्रस्तावित 14 संशोधनों को मंजूरी दे दी है। ये संशोधन वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण, विवाद निपटान प्रक्रियाओं और वक्फ बोर्डों की संरचना से संबंधित हैं। विपक्षी दलों ने विधेयक के कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जताई है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस विधेयक का विरोध किया है।
नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी का बॉयकॉट किए जाने का आरजेडी ने स्वागत किया है। इफ्तार पार्टी के बायकॉट पर आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद ने मुस्लिम धार्मिक संगठनों का फैसला सही बताया। उन्होंने कहा, जेडीयू मुसलमानों के साथ दोहरा मापदंड अपना रही है। एक तरफ वक्फ बिल को समर्थन और दूसरी तरफ इफ्तार की दावत दोनों नहीं चलेंगे। जेडीयू, टीडीपी और LJP (R) ये सभी बीजेपी के एजेंडे के साथ खड़े हैं।