Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि का पहला दिन बहुत शुभ और पवित्र माना जाता है। इस दिन माँ दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा की जाती है। उनकी पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शक्ति प्राप्त होती है। इस बार 30 मार्च 2025 से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है, जो 6 अप्रैल को समाप्त होंगी। ये नौ दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की भव्य पूजा को समर्पित है। साथ ही मां दुर्गा की विशेष कृपा भी प्राप्त होती हैं।
मां दुर्गा के सोलह श्रृंगार की लिस्ट
लाल चुनरी, लाल चूड़ियां, सिंदूर, बिंदी, काजल, मेहंदी, महावर, शीशा, बिछिया, इत्र, चोटी, गले के लिए माला या मंगलसूत्र, पायल, नेल पेंट, लिपस्टिक, रबर बैंड, नथ, गजरा, मांग टीका, कान की बाली, कंघी, शीशा आदि।
अखंड ज्योति के लिए सामग्री
पीतल या मिट्टी का साफ दीया, रुई की बत्ती, रोली या सिंदूर, चावल।
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन पूजा विधि:
1. कलश स्थापना (घटस्थापना)
सूर्योदय से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
एक मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं और उसके पास कलश स्थापित करें।
कलश में जल भरकर उसमें सुपारी, सिक्का, अक्षत (चावल) डालें और उसके ऊपर आम के पत्ते रखें।
कलश के मुख पर नारियल रखें और उसे लाल कपड़े से लपेटकर मौली बांधें।
कलश की पूजा करें और भगवान गणेश का आह्वान करें।
2. माँ शैलपुत्री की पूजा
माँ शैलपुत्री की मूर्ति या चित्र को साफ स्थान पर रखें।
उनके चरणों में अक्षत, फूल, चंदन, सिंदूर, और गंगाजल अर्पित करें।
माँ को सफेद फूल और गाय के घी से बनी चीज़ें विशेष रूप से चढ़ाएं।
“ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
दुर्गा सप्तशती या देवी कवच का पाठ करें।
आरती करें और कपूर जलाकर माता को भोग अर्पित करें।
3. व्रत एवं संकल्प
अगर आप व्रत रख रहे हैं, तो भगवान से संकल्प लें।
फल, दूध और सात्विक भोजन ग्रहण करें।
पूरे दिन मन, वचन और कर्म से पवित्र रहें।
4. घी का दीपक जलाएं
माता रानी के सामने घी का दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
माँ शैलपुत्री की कृपा से लाभ:
शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ता है। घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।